Tuesday 1 November 2011

ये हिंदुत्व को मिटा डालेंगे , रोको इन्हें !!

नमस्कार |
मेरा भारत जो जगद्गुरु की उपाधि से सुसज्जित था , वो भारत जिसके ज्ञान का डंका विश्व-प्रांगण के कोने कोने में बजता था ,वही भारत जिसकी धरती पर वेदों का गान हुआ , भारत वही जहां ऋषि पतंजली योग सूत्र लिखते है की आज भी योग की शक्ति और ज्ञान के आगे समस्त पश्चिम जगत नतमस्तक है , वो भारत की जिसमे श्री कृष्ण बीच रण में गीता का ऐसा अमर उपदेश सुनाते हैं की देख कर आज भी दुनिया अचंभित है…
आज उसी भारत की अति दयनीय दशा और सर्वाधिक उस भारत में धर्म का जो हश्र हुआ है उसे देखके सहसा नेत्रों में से अश्रु धारा बह निकलती है |
धर्म कर्म को आडम्बर ले डूबा है |
गुरु – शिष्य परंपरा को आधुनिक बाबा रूपी कपटियों ने बदनाम कर दिया है |
उस एक परमात्मा को छोडकर हम अनगिनत भगवन बना बेठे हैं और हाय रे शत् शत् धिक्कार है उनपर जो धर्म का चोला ओड़कर “३३ करोड़ परमात्मा है” ऐसा कहकर वेदिक संस्कृति का कुठराघात करते हैं |

Friday 12 August 2011

फलित ज्योतिष विद्या,अर्थात भविष्य नाशिनी पाखंडता ||


फलित ज्योतिष विद्या,अर्थात भविष्य नाशिनी पाखंडता  ||

आज एक वास्तु जो मुझे समाचार चेनलों पर लगभग प्रतिदिन दिन में दो बार दिख जाती है , वो है .. ज्योतिष फल , आपके सितारे , लाल किताब, क्या कहते है तारे ! , ग्रहों के फेर , राशिफल , टेरो कार्ड ... इत्यादि जाने कितने नाम गढ लिए हैं |

मेरे प्रिय भाइयो व् बहनों , आज मेरा मंतव्य है आपको इस कपोल- कल्पित अविद्या के बारे कुछ बताना!

आज प्रातः मेरे एक मित्र मुझे मिले , तो वो अखबार में कुछ पढ़  रहे थे ... पास जाकर देखा तो राशिफल ..... में सहसा हसने लगा तो उन्होंने मुझसे इसका कारण पुछा ... अब हमारा आगे का वार्तालाप में लिखता हूँ!

मित्र : अरे आप हँस क्यों पड़े ?

आर्यवीर : आप जो पढ़ रहे है उसे देख कर |

मित्र :: नहीं आर्य जी , ये राशि तो मेरी सही ही निकलती है  बहुत बार |

आर्यवीर : हाहा !! अच्छा आज क्या लिखा है आपकी मेष राशि में ?

मित्र :: लिखा है आज मुझे धन लाभ होगा | तो में सोच रहा हू आज लाटरी के कुछ टिकेट खरीद लूं |

आर्यवीर : अरे अरे लाटरी बाद में खरीदिएगा , पहले जरा ये बताइए ये कुल राशियाँ कितनी हैं?

मित्र :: 12 राशियाँ होती है ... मीन, मेष ,तुला  आदि |

आर्यवीर : ठीक तो भारत कि जनसँख्या है 100 करोड़ , और इनमें लगभग 80-85 करोड़ सनातनी/हिंदू है , अब इनमे यदि विभाजित करें , तो प्रत्येक राशि में 7 करोड लोग आयेंगे |
 क्या प्रत्येक को धन लाभ होगा? नहीं !! इसका अर्थ है ये सब झूठ बोलते हैं |
तनिक खोज करेंगे तो जानेगे कि कुछ दो चार  मेष राशि वालो का तो आज आज ही दिवाला निकला होगा !!! तो खा गया उनका धन लाभ ? क्यूँ नहीं वो जाकर ज्योतिषियों कि गर्दन पकड़ते कि तुमने तो लिखा है "धनलाभ होगा !! तो दिवाला क्यों पीटा ?"

मित्र :: बात तो आपकी ठीक है , पर बहुत बार सही निकलता है ||

आर्यवीर :: मित्र ये ज्योतिषी गणित के सम्भावना के नियम से बोलते है |जैसे १०० बचे क्लास में बेठे , और ये कह देंगे आज पास होने के योग है , अब सभी तो फ़ैल नहीं हो जाएँगे बहुत पास भी होंगे , लेकिन क्या ज्योतिषी के कहने से पास हुए? नहीं अपनी म्हणत से पास हुए | ये सब सिर्फ  law of probablity पर चलते है | १००० लोगो के लिए तुक्के मार दो, १० के लिए तो सही होंगे ही ! बाकि ९०० जहां जातें हैं जायें ... १० तो मुरीद बन जाएँगे !
और दूसरे , जब आप सुबह पढ़ लेगे कि ऐसा होना है तो न चाहते हुए भी कर बैठेगे | जैसे किसीने पढ़ा तुला राशि वालो को दुर्घटना का डर | उसने चाहे कि वो बहुत अच्छा ड्राईवर था, किन्तु उस दिन घर से यूँ ही सोच कर निकला कि आज तो दुर्घटना होनी  है , गाड़ी को ठोक दिया |
इसी तरह आपको यदि आज सड़क पर गिरा १ रुपया भी मिल गया तो आप सोचेगे कि शायद धन लाभ हो गया|

मित्र: हाँ बात तो आपकी ये भी ठीक है , पर जो कुछ ज्योतिषी उपाय करते है उसका क्या?

आर्यवीर : देखिये.. यही तो इनका धंधा है , पहले आपके मन में डर बिठा देंगे .... तुम्हारा शनि भारी है , राहू सर पर है , केतु ने जकडा है ... इत्यादि .... फिर जब व्यक्ति को छोटी सी दुर्घटना भी ऐसे लगती है मनो रहो केतु खुद आ कर करवा रहे है .... फर वे उपायों के चक्कर  में डालते हैं...
दुसरे ये कभी उपाय कि गारंटी नहीं लेते | कहते है हमने अपना काम कर दिया बाकि परमात्मा पर है , जो सब परमात्मा पर ही है ... तो तुम उपाय के पाखंड क्यों करते हो?

इनसे पूछे क्या तुम परमात्मा से भी ऊपर  हो ?
यदि परमात्मा चाहता है कि .. आज मेरा एक्सीडेंट हो . तो है कोई विश्व कि शक्ति कि उसकी इच्छा  को  बदल सके ? फिर क्यों आप परमात्मा को छोड़ इन जैसे पाखंडियों पर विश्वास करते हो?

to be continued...

सनातन धर्म में सनातन क्या है ?


-----------------ॐ------------------------

हम आज बहुत गर्व से राम-कथा में अथवा भागवत-कथा में, कथा के अंत में कहते  हैं ,

 बोलिए --- सत्य सनातन धर्मं कि !!
  जय !

तनिक विचारें ? सनातन का क्या अर्थ है ?
सनातन अर्थात जो सदा से है . जो सदा रहेगा , जिसका अंत नहीं है , वही सनातन है , जिसका कोई आरंभ नहीं है वही सनातन है , और सत्य मैं केवल हमारा धर्मं ही केवल सनातन है, यीशु से पहले ईसाई मत नहीं था , मुहम्मद से पहले इस्लाम मत नहीं था | केवल सनातन धर्मं ही सदा से है , सृष्टि आरंभ से |

किन्तु ऐसा क्या है हिंदू धर्मं में जो सदा से है ?

श्री कृष्ण कि भगवत कथा श्री कृष्ण के जन्म से पहले नहीं थी अर्थात कृष्ण भक्ति सनातन नहीं है |
श्री राम की रामायण , तथा रामचरितमानस भी श्री राम जन्म से पहले नहीं थी तो अर्थात , श्री राम भक्ति भी सनातन नहीं है |
श्री लक्ष्मी भी ,(यदि प्रचलित सत्य-असत्य कथाओ के अनुसार भी सोचें तो) ,तो समुद्र मंथन से पहले नहीं थी , अर्थात लक्ष्मी पूजन भी सनातन नहीं है |
गणेश जन्म से पूर्व गणेश का कोई अस्तित्व नहीं था , तो गणपति पूजन  भी सनातन नहीं है |

शिव पुराण के अनुसार शिव ने विष्णु व् ब्रह्मा को बनाया तो विष्णु भक्ति व् ब्रह्मा भक्ति सनातन नहीं,विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु ने शिव और ब्रह्मा को बनाया तो शिव भक्ति और ब्रह्मा भक्ति सनातन नहीं,
ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने विष्णु और शिव को बनाया तो विष्णु भक्ति और शिव भक्ति सनातन नहीं |
देवी पुराण के अनुसार देवी ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव को बनाया तो यहाँ से तीनो कि भक्ति सनातन नहीं रही |




यहाँ तनिक विचारें ये सभी ग्रन्थ एक दुसरे से बिलकुल उलट बात कर रहे हैं, तो इनमे से अधिक से अधिक एक ही सत्य हो सकता है बाकि झूठ , लेकिन फिर भी सब हिंदू इन चारो ग्रंथो को सही मानते हैं ,
अहो! दुर्भाग्य !!

फिर ऐसा सनातन क्या है ? जिसका हम जयघोष करते हैं?
वो सत्य सनातन है परमात्मा कि वाणी !

आप किसी मुस्लमान से पूछिए , परमात्मा ने ज्ञान कहाँ दिया है ?
वो कहेगा कुरान मैं |
आप किसी ईसाई से पूछिए परमात्मा ने ज्ञान कहाँ दिया है ?
वो कहेगा बाईबल मैं |

लेकिन आप हिंदू से पूछिए परमात्मा ने मनुष्य को ज्ञान कहाँ दिया है ?
हिंदू निरुतर हो जाएगा | :(

आज दिग्भ्रमित हिंदू ये भी नहीं बता सकता कि परमात्मा ने ज्ञान कहाँ दिया है ?

आधे से अधिक हिंदू तो केवल हनुमान चालीसा में ही दम तोड़ देते हैं | जो कुछ धार्मिक होते हैं वो गीता का नाम ले देंगे, किन्तु भूल जाते हैं कि गीता तो योगीश्वर श्री कृष्ण देकर गए हैं परमात्मा का ज्ञान तो उस से पहले भी होगा या नहीं , अर्थात वो ज्ञान जो श्री कृष्ण , सांदीपनी मुनि के आश्रम में पढ़े थे .?
जो कुछ अधिक  ज्ञानी होंगे वो उपनिषद कह देंगे, परुन्तु उपनिषद तो ऋषियों कि वाणी है न कि परमात्मा की ...|

तो परमात्मा का ज्ञान कहाँ है ?

वेद !! जो स्वयं परमात्मा कि वाणी है , उसका अधिकांश हिन्दुओ को केवल नाम ही पता है |
वेद परमात्मा ने मनुष्यों को सृष्टि के प्रारंभ में दिए | जैसे कहा जाता है कि " गुरु बिना ज्ञान नहीं ", तो संसार का आदि गुरु कौन था? वो परमात्मा ही था | उस परमपिता परमात्मा ने ही सब मनुष्यों के कल्याण के लिए वेदों का प्रकाश , सृष्टि आरंभ में किया |

जैसे जब हम नया मोबाइल लाते हैं तो साथ में एक गाइड मिलती है , कि इसे यहाँ   पर रखें , इस प्रकार से वरतें , अमुक स्थान पर न ले जायें, अमुक चीज़ के साथ न रखें,  आदि ...

उसी प्रकार जब उस परमपिता ने हमे ये मानव तन दिए , तथा ये संपूर्ण सृष्टि हमे रच कर दी , तब क्या उसने हमे यूं ही बिना किसी ज्ञान व् बिना किसी निर्देशों के भटकने को छोड़ दिया ?
जी नहीं , उसने हमे साथ में एक गाइड दी, कि इस सृष्टि को कैसे वर्तें, क्या करें, ये तन से क्या करें, इसे कहाँ  लेकर जायें, मन से क्या विचारें , नेत्रों से क्या देखें , कानो से क्या सुनें , हाथो से क्या करें ,आदि | उसी का नाम वेद है | वेद का अर्थ है ज्ञान |

परमात्मा के उस ज्ञान को आज हमने लगभग भुला दिया है |

वेदों में क्या है?
वेदों में कोई कथा कहानी नहीं है | न तो कृष्ण कि न राम कि , वेद मे तो ज्ञान है |
मैं कौन हूँ? मुझमे ऐसा क्या है जिसमे मैं कि भावना है ?
मेरे हाथ , मेरे पैर , मेरा सर , मेरा शरीर ,पर मैं कौन हूँ?
मैं कहाँ से आया हूँ?  मेरा  तन तो यहीं रहेगा , तो मैं कहाँ जाऊंगा | परमात्मा क्या करता है ?
मैं यहाँ क्या करूँ? मेरा लक्ष्य क्या है ? मुझे यहाँ क्यूँ भेजा गया ?

इन सबका उत्तर तो केवल वेदों में ही मिलेगा | रामायण व् भगवत व् महाभारत आदि तो इतिहासिक घटनाएं है , जिनसे हमे सीख लेनी चाहिए और इन जैसे महापुरुषों के दिखाए सन्मार्ग पर चलना चाहिए | लेकिन उनको ही सब कुछ मान लेना , और जो स्वयं परमात्मा का ज्ञान है उसकी अवहेलना कर देना केवल मूर्खता है |

इस से आगे अगली बार | धन्यवाद |
-----------------ॐ------------------------

आइये तनिक फिर विचारें !! कि ये कहाँ आ गए हम ??


आइये तनिक फिर विचारें !! कि ये कहाँ आ गए हम ??

ये ब्लॉग समर्पित होगा भारत की इस पुण्य भूमि को | ये ब्लॉग समर्पित होगा भारत के उच्तम दर्शन को | ये ब्लॉग समर्पित होगा सदा सत्य सनातन वेदिक धर्मं को | मेरा ये ब्लॉग समर्पित होगा मेरे अंतःकरण की उस इच्छा को, की जो मैंने जाना है, उसे सबके साथ साझा करू |

अगला प्रशन होगा , अरे हिंदी में क्यों ?
इसका उत्तर ये है की , इस ब्लॉग के माध्यम से मैं केवल और केवल अपने भारतीय बंधुओ को ही संबोधित करना चाहता हू | उस से भी अधिक में केवल हिन्दुओ को ही संबोधित करना चाहता हू |
किसी और मत या सम्प्रदाय से मुझे मेरे इस ब्लॉग को कोई अभिप्राय नहीं है | मैं चाहुगा कि हिन्दुओ में भी जो वेदिक परंपरा कि तर्क शक्ति रखते हो , तथा सत्य जानने , सत्य मानने ,सत्य फ़ैलाने के इच्छुक हो , व्ही इस ब्लॉग को पढ़े . अन्यथा मेरा विनम्र अनुरोध है कि आप इसे ना पढ़े |

अब अपना भी परिचय दे दूं |
में भारतीय हूँ , जन्म से  भी और अपनी सोच से भी |
हिंदू हूँ , जन्म से भी और सोच से भी |
बस अब भारतीय होने और हिंदू होने कि अपनी सोच को ही आप सबके साथ बाँटना चाहुगा |
अपना लेखकी नाम में अब से आर्यवीर रखता हूँ |
आर्य -> श्रेष्ठ गुणों वाला मनुष्य |
वीर -> सत्य को बताने से न डरने वाला |

मैं श्रेष्ठ गुणों का हूँ ऐसा तो नहीं कह सकता पर हाँ इस ब्लॉग पर सत्य का प्रतिपादन करने में नहीं हिचकिचाऊगा ऐसा में संकल्प करता हूँ |

आइये , जरा फिर विचारे कि जिसे आज हम सनातन धर्मं मानते है क्या सदा से वही था हमारा सनातन धर्मं ? क्या केवल कथा कहानियाँ ही बनाती है हमारा धर्मं ? क्या है सनातन धर्मं ? क्या क्या कर रहे है धर्मं के नाम पर? क्या हम धर्मं मार्ग पर है?
आइये तनिक फिर से विचारें  !!