Friday 12 August 2011

सनातन धर्म में सनातन क्या है ?


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हम आज बहुत गर्व से राम-कथा में अथवा भागवत-कथा में, कथा के अंत में कहते  हैं ,

 बोलिए --- सत्य सनातन धर्मं कि !!
  जय !

तनिक विचारें ? सनातन का क्या अर्थ है ?
सनातन अर्थात जो सदा से है . जो सदा रहेगा , जिसका अंत नहीं है , वही सनातन है , जिसका कोई आरंभ नहीं है वही सनातन है , और सत्य मैं केवल हमारा धर्मं ही केवल सनातन है, यीशु से पहले ईसाई मत नहीं था , मुहम्मद से पहले इस्लाम मत नहीं था | केवल सनातन धर्मं ही सदा से है , सृष्टि आरंभ से |

किन्तु ऐसा क्या है हिंदू धर्मं में जो सदा से है ?

श्री कृष्ण कि भगवत कथा श्री कृष्ण के जन्म से पहले नहीं थी अर्थात कृष्ण भक्ति सनातन नहीं है |
श्री राम की रामायण , तथा रामचरितमानस भी श्री राम जन्म से पहले नहीं थी तो अर्थात , श्री राम भक्ति भी सनातन नहीं है |
श्री लक्ष्मी भी ,(यदि प्रचलित सत्य-असत्य कथाओ के अनुसार भी सोचें तो) ,तो समुद्र मंथन से पहले नहीं थी , अर्थात लक्ष्मी पूजन भी सनातन नहीं है |
गणेश जन्म से पूर्व गणेश का कोई अस्तित्व नहीं था , तो गणपति पूजन  भी सनातन नहीं है |

शिव पुराण के अनुसार शिव ने विष्णु व् ब्रह्मा को बनाया तो विष्णु भक्ति व् ब्रह्मा भक्ति सनातन नहीं,विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु ने शिव और ब्रह्मा को बनाया तो शिव भक्ति और ब्रह्मा भक्ति सनातन नहीं,
ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने विष्णु और शिव को बनाया तो विष्णु भक्ति और शिव भक्ति सनातन नहीं |
देवी पुराण के अनुसार देवी ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव को बनाया तो यहाँ से तीनो कि भक्ति सनातन नहीं रही |




यहाँ तनिक विचारें ये सभी ग्रन्थ एक दुसरे से बिलकुल उलट बात कर रहे हैं, तो इनमे से अधिक से अधिक एक ही सत्य हो सकता है बाकि झूठ , लेकिन फिर भी सब हिंदू इन चारो ग्रंथो को सही मानते हैं ,
अहो! दुर्भाग्य !!

फिर ऐसा सनातन क्या है ? जिसका हम जयघोष करते हैं?
वो सत्य सनातन है परमात्मा कि वाणी !

आप किसी मुस्लमान से पूछिए , परमात्मा ने ज्ञान कहाँ दिया है ?
वो कहेगा कुरान मैं |
आप किसी ईसाई से पूछिए परमात्मा ने ज्ञान कहाँ दिया है ?
वो कहेगा बाईबल मैं |

लेकिन आप हिंदू से पूछिए परमात्मा ने मनुष्य को ज्ञान कहाँ दिया है ?
हिंदू निरुतर हो जाएगा | :(

आज दिग्भ्रमित हिंदू ये भी नहीं बता सकता कि परमात्मा ने ज्ञान कहाँ दिया है ?

आधे से अधिक हिंदू तो केवल हनुमान चालीसा में ही दम तोड़ देते हैं | जो कुछ धार्मिक होते हैं वो गीता का नाम ले देंगे, किन्तु भूल जाते हैं कि गीता तो योगीश्वर श्री कृष्ण देकर गए हैं परमात्मा का ज्ञान तो उस से पहले भी होगा या नहीं , अर्थात वो ज्ञान जो श्री कृष्ण , सांदीपनी मुनि के आश्रम में पढ़े थे .?
जो कुछ अधिक  ज्ञानी होंगे वो उपनिषद कह देंगे, परुन्तु उपनिषद तो ऋषियों कि वाणी है न कि परमात्मा की ...|

तो परमात्मा का ज्ञान कहाँ है ?

वेद !! जो स्वयं परमात्मा कि वाणी है , उसका अधिकांश हिन्दुओ को केवल नाम ही पता है |
वेद परमात्मा ने मनुष्यों को सृष्टि के प्रारंभ में दिए | जैसे कहा जाता है कि " गुरु बिना ज्ञान नहीं ", तो संसार का आदि गुरु कौन था? वो परमात्मा ही था | उस परमपिता परमात्मा ने ही सब मनुष्यों के कल्याण के लिए वेदों का प्रकाश , सृष्टि आरंभ में किया |

जैसे जब हम नया मोबाइल लाते हैं तो साथ में एक गाइड मिलती है , कि इसे यहाँ   पर रखें , इस प्रकार से वरतें , अमुक स्थान पर न ले जायें, अमुक चीज़ के साथ न रखें,  आदि ...

उसी प्रकार जब उस परमपिता ने हमे ये मानव तन दिए , तथा ये संपूर्ण सृष्टि हमे रच कर दी , तब क्या उसने हमे यूं ही बिना किसी ज्ञान व् बिना किसी निर्देशों के भटकने को छोड़ दिया ?
जी नहीं , उसने हमे साथ में एक गाइड दी, कि इस सृष्टि को कैसे वर्तें, क्या करें, ये तन से क्या करें, इसे कहाँ  लेकर जायें, मन से क्या विचारें , नेत्रों से क्या देखें , कानो से क्या सुनें , हाथो से क्या करें ,आदि | उसी का नाम वेद है | वेद का अर्थ है ज्ञान |

परमात्मा के उस ज्ञान को आज हमने लगभग भुला दिया है |

वेदों में क्या है?
वेदों में कोई कथा कहानी नहीं है | न तो कृष्ण कि न राम कि , वेद मे तो ज्ञान है |
मैं कौन हूँ? मुझमे ऐसा क्या है जिसमे मैं कि भावना है ?
मेरे हाथ , मेरे पैर , मेरा सर , मेरा शरीर ,पर मैं कौन हूँ?
मैं कहाँ से आया हूँ?  मेरा  तन तो यहीं रहेगा , तो मैं कहाँ जाऊंगा | परमात्मा क्या करता है ?
मैं यहाँ क्या करूँ? मेरा लक्ष्य क्या है ? मुझे यहाँ क्यूँ भेजा गया ?

इन सबका उत्तर तो केवल वेदों में ही मिलेगा | रामायण व् भगवत व् महाभारत आदि तो इतिहासिक घटनाएं है , जिनसे हमे सीख लेनी चाहिए और इन जैसे महापुरुषों के दिखाए सन्मार्ग पर चलना चाहिए | लेकिन उनको ही सब कुछ मान लेना , और जो स्वयं परमात्मा का ज्ञान है उसकी अवहेलना कर देना केवल मूर्खता है |

इस से आगे अगली बार | धन्यवाद |
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10 comments:

  1. Aryaveer Ji Very good article you have written. I was in searching of this since many days. If you have more article in Hindi on Veda like God incarnation etc please put on the website to all. I daily listen in train at end of Ramayan recital " Sanatan Dharm ki Jai ho". But no one knows what is Sanatan religion? Now I can make understand to others true meaning of Sanatan Dharma in batter way & will distribute article. You have given the word to our thought.
    Once Again bahut... bahut dhanyawad.

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  2. धन्यवाद !
    ये बहुत ही आवश्यक है की लोग ये जानें की सनातन क्या है !
    बात करने का तरीका यही है , की उन्हें कहीं भी ऐसा नहीं लगना चाहिए की आप उनको , उनके धर्म को , अथवा उनके विश्वास को चुनोती दे रहे है |
    अर्थात कभी भी ऐसे बात शुरू न करें की , कोई मूर्ति पूजा कर रहा हो तो "अरे ये क्या पाखंड है ?" , अगर अभी आप अपने मित्र के साथ राम कथा सुन रहे हो और कुछ अप्रमाणिक अथवा मिथ्या कथा आने पर कहें आप उसे कहें , अरे सब बकवास बातें बता रहा है ... इस से तो केवल उसे चोट पहुंचेगी और वो आप के बारे में बुरा सोचेगा | इसके उलट जब आप घर आ जायें .. तो कभी खाली समय पा कर बात छेड़े |
    और सबसे सही तरीका यही है ,
    कि आदर्श बनिए , जब कोई आपको अपना आदर्श मन लेता है .. तो आपकी कही बात पर विश्वास करने का उसका आधा संकल्प तो उसी समय हो जाता है |
    जैसे जिस क्षण मैंने स्वामी दयानंद कि जीवनी पढ़कर उन्हें आदर्श मान ने के पश्चात् सत्यार्थ प्रकाश पढ़ी तो बहुत सी तीखी आलोचना भी में विवेक से समझ गया |
    मैंने यदि दयानंद जी को आदर्श ना मन होता तो अवश्य ही १३ और १४ समुल्लास में में विहवल हो जाता |
    और सदा लोगो लोगो को ये भान करवाते रहे कि कथाएँ सत्य - असत्य हो सकती है .... परुन्तु वेद ही सत्य हैं ... ताकि यदि कभी ये प्रश्न उनके मन में कोई जेहादी उठाये तो उनके पास एक वेदों का विकल्प हो! वो यह न समझ बेठें कि सारा सनातन धर्मं ही गलत है , ऐसी स्तिथि में या तो वे नास्तिक हो जाएँगे .. जो हानिकारक है ... अथवा जेहादी या क्रिस्चन हो जायेंगे जो और भी हानिकारक है |

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  3. Kya main aapke is article ko apne website se prachaar kar sakta hu ?
    aur Ise print karke distribute kar sakta hu ?

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  4. जी बिलकुल , सत्य प्रचार के लिए ही तो मैंने ब्लॉग शुरू किये है |
    यदि आप भी प्रचार प्रसार करें तो में आपका आभारी रहूगा |

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  5. @aryaveer
    You have written many good articles. Please write some articles on Vedic God in Hindi or translate Agniveer articles in Hindi on Vedic God.

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  6. hmm ... thanks for suggestion i will try to do so soon!!

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  7. धन्यवाद आचार्य! जो आपने इतनी सुन्दर लेख लिखा है। अन्धश्रद्धा, अन्धविश्वास, असत्यानाचार इत्यादि दुर्भावनाओ ने समाज में भ्रम उत्पन्न कर रखे है। उन पथभ्रष्ट प्राणियो के लिए ऐसे लेख धर्म का मार्गदर्शन करेंगे।

    जैसा कि तुलसीदास ने कहा है।

    वन्दउ गुरु पद कंज कृपासिन्धु नररुपहरि ।
    महामोह तमपुंज जासु वचन रवि करनी करि ॥

    मोह में डुबे इस समाज को सत्य दिखाने के लिए आप जैसे महापुरुषो की आवश्यकता है। आपको सादर नमन ।

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  8. आप भ्रम की स्थिति में हैं. वेद निश्चित ही सनातन हैं परन्तु आप वेद का अर्थ समझिए. वेद का अर्थ होता है जानना. जो जानता है जिसे जाना जाता है वह वेद है. जानता कौन है और किसे जानता है? पूर्ण विशुद्ध ज्ञान ही जाननेवाला है और पूर्ण विशुद्ध ज्ञान ही जाना जाता है. यही है वह तत्त्व है जिसे सनातन कहा जाता है. जिस जीव में यह पूर्ण विशुद्ध ज्ञान प्रकट हो जाता है वह सनातन हो जाता है. श्री हरी विष्णु, श्री राम, श्री कृष्ण, शिव शंकर, आदि में पूर्ण विशुद्ध ज्ञान प्रकट हुआ इसलिए उनको सनातन कहते हैं. यह पूर्ण विशुद्ध ज्ञान ही आत्मतत्त्व है, यही ब्रह्म है, यही सनातन कहलाता है. चार वेदों के ऋषियों ने लगातार साधनारत रहकर इस सनातन तत्त्व को जाना और वेद के अंतिम भाग में इस को सुस्पष्ट किया, इस कारण ही उन्हें वेद कहते हैं.
    कृपया इस प्रकार स्वामी दयानंद को लज्जित न करें.

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  9. सनातन धर्म के बारे में आपका लेख पढ़ा और अच्छा भी लगा परन्तु आप सबसे यह आशा क्यों रखते हैं की वो वेदों को पढ़े .साधारण भाषा की समझ रखने वालों के हित को ध्यान में रखते हुए रामचरितमानस जैसे ग्रंथों की रचना तुलसीदास सरीखे संतों ने किया था जो समकालीन जनमानस की समझ और उनकी जिज्ञ्यासा के अनूकुल था .हमें सभी धर्मग्रथों एवं उनके रचनाकारों का आदर करते हुए अपनी बात रखनी होगी तभी वो सभी के मन को अच्छा लगेगा.जहाँ तक मैंने समझा है सुर.कबीर,तुलसी.रैदास,जैसे संत जो सर्वसाधरण के लिए रचना किये उसमे कई जगहों पर वेदों और उपनिषदों की बातों का उल्लेख किया है ताकि वो जन जन तक पहुंचे.

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  10. @ ravi
    नमस्ते ,
    सनातन का जो आप अर्थ ले रहे हैं की वो व्यक्ति आगे के लिए अमर हो जाता है ... इस प्रकार से सही है की श्री राम व् कृष्ण अपने शुभ कर्मो और दिव्या जीवन से अमर हो गये है ..
    लेकिन इस लेख में में मेरा मंतव्य ये दर्शाना था की सनातन धर्म के मूल को लोग जाने की ये हमारा सनातन धर्म तो तब भी था जब श्री राम जन्मे भी न थे , और
    जिस सनातन धर्म की पताका श्री राम ने स्वयं भी उठाई थी वह सनातन धर्म क्या है !
    मेरा महर्षि दयानंद का अपमान करने का कोई इरादा नहीं है , यदि आप मेरी गलती जरा और स्पष्ट से बता देंगे तो आपका बहुत आभारी रहूगा तो जो मुझे उसे आगे सुधरने में सहायता होगी .
    धन्यवाद

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